रात स्वप्न में
रात स्वप्न में (कविता) कल रात स्वप्न में बाहों का श्रृंगार था थोड़ी सी म…
हर घर कुकुर (हिन्दी कविता) कुकुर हमारे घर में पलते थे पर बड़े अहसानफरामोश थे, कुकुर का जोड़ा कभी आँखें तरेरे कभी भौंके बस न चलता हम प…
Read moreकठपुतली ( हिंदी कविता) ऐसा भी क्या है तेरे बिना रह ना पाऊं ऐसा भी क्या है तुझे देखे - तुझे सुने बिना जी ना पाऊं मन मेरा डोर तेरे हाथ म…
Read moreरिश्तों का हेर- फेर ( कविता ) रिश्तों में चढ़ा देते हैं जो झूठ की जिल्द और कहते हैं हमारे जैसा कोई पाक-साफ ना मिलेगा... बुनियाद ही फरेब प…
Read moreमैं अमृत-काल में हूँ (कविता) मैं अमृत-काल में हूँ इसलिए रसोई गैस ग्यारह सौ रुपए हैं हाँ मैं अमृत काल में हूँ इसलिए दो सौ रूपये सरसों तेल…
Read moreरोजगार दे दो (हिंदी कविता) सारी डिग्रियां सारे प्रमाण पत्र सारे मैडल बेकार लगते हैं जब पेट की क्षुदा एसिड बन रगों में दौड़ने लगते हैं…
Read moreहम रोज कसम खाते हैं हम रोज खुद को मनाते हैं हम तुम्हें भूल जाएंगे पर तुम्हारे मन की बात हमें भूलने नहीं देती...... हम कैसे मूढ़ …
Read moreरात स्वप्न में (कविता) कल रात स्वप्न में बाहों का श्रृंगार था थोड़ी सी म…