रात स्वप्न में
रात स्वप्न में (कविता) कल रात स्वप्न में बाहों का श्रृंगार था थोड़ी सी म…
कठपुतली ( हिंदी कविता) ऐसा भी क्या है तेरे बिना रह ना पाऊं ऐसा भी क्या है तुझे देखे - तुझे सुने बिना जी ना पाऊं मन मेरा डोर तेरे हाथ म…
Read moreकिरायेदार मित्र बड़ा दुख दे जाते हैं और हम शिकवा या शिकायत भी नहीं कर पाते, बस कातर भरी नजरों से देखते रह जाते हैं, उन्हें जाते हुये। अब मेरा किरायेद…
Read moreप्रिय चाय आज तुम्हारी महत्ता समझ आयी.. आज सुबह चाय बनाने गयी तो देखती हुं चायपत्ती का डब्बा खाली पड़ा था। अब चाय कैसे बनाऊं... उफ़ कैसे भुल गयी मैं, …
Read moreरात स्वप्न में (कविता) कल रात स्वप्न में बाहों का श्रृंगार था थोड़ी सी म…