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धर्म की सामग्री (कविता)

        धर्म की सामग्री (कविता )




 हमें मत दिखाओ ऐसे
 धर्म के नाम की सामग्री
 हमें मत दिखाओ
 मुस्लिमों के कुछ काला आतंक
हमें मत दिखाओ
हिंदुओं के कुछ नारंगी आतंक
 हमें मत उकसाओ
हिंदुओं के नाम पर
 हमें मत उकसाओ 
मुस्लिमों के नाम पर
इन दृश्य-श्रव्य सामग्री का
रेला लगा रखा है जो तुमने 
इसे अपने पास ही रख 
पेट की क्षुदा बुझती नहीं
तुम्हारे भड़काने वाले इस आतंक से
क्या सही है क्या गलत है
यह तुम हमें मत समझाओ
 हम नहीं जागेंगे हिंदू राष्ट्र
 व मुस्लिम राष्ट्र के नारों से
 इस तरह की बेतुकी बात मत कर
 हमें चाहिए रोटी
हमें चाहिए पानी
हमें चाहिए स्वास्थ्य
हमें चाहिए शिक्षा
तो इसकी बात करो ना 
क्या हिंदू-हिंदू कर रहे हो
क्या मुस्लिम-मुस्लिम कर रहे हो
सब धर्म एक सामान 
 सबके लहू का रंग एक
सबकी मशीन की बनावट एक
 पढ़ा नहीं क्या विज्ञान ?
 कॉलेजों और स्कूलों में
 या फिर परिवारों में....
 हमें और ना चाहिए मंदिर
 हमें और ना चाहिए मस्जिद
 हमारा घर ही मंदिर-मस्जिद है
 हमें चाहिए रोजगार
 हमें चाहिए सुरक्षा
 तुम इसकी बात करो ना
 वैसे भी -
 आतंक का कोई धर्म नहीं होता
 तो फिर क्यों जोड़ना उसे धर्म से
 तो हमें मत दिखाओ
 धर्म के नाम की सामग्री
 एहसान मानो हमने तुम्हें तख्त दिया
 हमनें तुम्हारा नमक नहीं खाया
 हर सामान पे टैक्स चुकाया
हम तो भाई आत्मनिर्भर हैं
अपना कमाते अपना खाते हैं
तुम किसका खाते हो
 चाय पे चर्चा हो जाये कभी
 पर उसकी भी फुरसत नहीं हमें 
 मेहनत मजदूरी में वक्त गुजर जाता है
 तो हमें मत बताओ
हम क्या करें क्या ना करें....








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