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हिन्दी दिवस पर कविता (व्यंग्य कविता)


साल में एक बार हिन्दी दिवस (हिन्दी कविता)



साल में एक बार हिंदी दिवस मनाते हैं
साल में एक बार हिंदी दिवस मनाते हैं
फिर हिंदी को भूल जाते हैं।
अंग्रेजी को झाड़ पे चढ़ाते हैं
अंग्रेजी को झाड़ पे चढ़ाते हैं
कहते हैं हिंदी हमारी मातृभाषा है
पर अंग्रेजी में शेख बघारते हैं।।

साल में एक बार हिंदी दिवस मनाते हैं।
भीड़ में हिंदी बोलने से कतराते हैं
भीड़ में हिंदी बोलने से कतराते हैं
अंग्रेजी की दो चार लाइन बोल अपनी शान बढ़ाते हैं।।

पर साल में एक बार हिंदी दिवस वैसे मनाते हैं
पर साल में एक बार हिंदी दिवस वैसे मनाते हैं
जैसे साल में एक बार बुढ़े मां-बाप से मिलने घर जाते हैं।

शुक्रिया, धन्यवाद और प्रणाम शब्द
शुक्रिया धन्यवाद और प्रणाम शब्द
तो विलुप्त हो चलें हैं- 
हाय, हैलो और थैंक्यू से काम चलाते हैं
साल में एक बार हिंदी दिवस मनाते हैं।

अपनों से हिंदी में बतियाते हैं
अपनों से हिंदी में बतियाते हैं
लायब्रेरी, पार्क, स्टेशनों पर अंग्रेजी साहित्य वैसे पढ़ते नजर आते हैं,
मानों अंग्रेजी में ही जन्म हुआ हो
पर साल में एक बार हिंदी दिवस मनाते हैं।

अंग्रेजी की दो-चार लाइन रट्टा लगाकर
अंग्रेजी की दो-चार लाइन रट्टा लगाकर
कहते हैं - हमें तो ज्यादा हिंदी समझ नहीं आती।
अलंकार, रस, ध्वनि सर के उपर से निकल जाते हैं -2
पर साल में एक बार काव्य - सम्मेलन में कविता पाठ कर आते हैं।।

साल में एक बार हिंदी दिवस मनाते हैं।
कहते हैं- हिंदी बहुत कठिन है
कहते हैं- हिंदी बहुत कठिन है
इसलिए हिंदी को रोमन में लिखते हैं
अजीब बात है दोस्तों
सोचों हिंदी में
बोलो अंग्रेजी में
और हिंदी को लिखो रोमन में
बड़ा गड़बड़ झाला है
हिंदी भी देख मुस्कुराती है
साल में एक बार हिंदी दिवस मनाते हैं।।

जिन्हें उनहत्तर, उन्यासी और नवासी में
फर्क समझ आता है
जिन्हें उनहत्तर, उन्यासी और नवासी में
फर्क समझ आता है
उन सबको हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।।

~कुमारी रश्मि
13-9-2019




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