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उदास इश्क 4

उदास इश्क 4



उदास इश्क 
मेरे साथ रोज गुजरती है 
कुछ कही कुछ अनकही 
जज्बातों को समेटती है 

तुम हकीकत हो या 
खयाल हो मेरा ,
इस आग से
जब रोज गुजरती है ,
मर जाने को दिल करता है...

जाने कब पैगाम आएगा 
चिट्ठी न सही दो शब्द आयेगा 
इससे रोज गुजरती है .....

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