नवग्रह घूम रहा है (हिन्दी कविता)
एक हाथ में कलम
दूसरे हाथ में कूची
रखना जरूरी है
जिन्दगी एक ही बार है
कुछ करना जरूरी है
ऊटपटांग ही सही
चौके -चूल्हे से अलग
मनपसंद जिंदगी
जीना जरूरी है ।
कोई प्रोत्साहित करे
इस भरोसे
बैठे रहना जरूरी नहीं
कोई चलना सिखाएगा नहीं
खुद से चलना आना जरूरी है ।
जिसे पसंद हो खुले आसमां में घूमना
उसे घूम आना जरूरी है
जिसे रंगों से हो खेलना
उसे चित्रकारी की दुनियां
देख लेना जरुरी है ।
जिसे घूमना हो कल्पनाओं
के सागर में गर तो
किताबों में झांकना जरूरी है
बाहर आना जरूरी है
अपने खोह से निकल
लोगों को परखना जरूरी है ।
नवग्रह तो घूम ही रहा है - धर्म में
दर्शनशास्र में
मनोविज्ञान में
काम में
क्रोध में
दयालुता में
आदमियता में
जीवन में
रस में
ये रस ढूंढना जरूरी है
बाहर आना जरूरी है।
कुमारी रश्मि
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