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तुम्हारा स्वप्न. ( छोटी कविता )

तुम्हारा स्वप्न  (छोटी कविता)






सुबह सुबह तुम्हारा स्वप्न आया 
तुम्हारा शहर भी पहाड़ हो गया 
सारी फिजा सफेद हो गयी 
रंग जैसे फना हो गया 
तुम आए, 
आँखें बोलती रही 
लब चुप से हो गए 
मुस्कुराकर गालों पे इक चुंबन हो गया
बस इतनी सी कहानी थी 
सारा शहर जाग उठा.....

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