* ख्याल मिले जज्बात मिले
तेरे होने से मेरा शहर मिले।
क्या ढूंढ रही है जिंदगी
ख्वाहिशों का अम्बार मिले।।
* तुम्हारा मिलना गैरजरूरी है ।
मिलने में शफक वो बात कहां
जो ना मिलने की लौ में है ।।
वो बरसने को तैयार हैं।
जिसकी चाह है,
उसपे बेरुखी के बादल सवार हैं।।
* मशरूफियत इतनी हो चली है
ना वक्त का इल्म
ना किसी फसाने की खबर है
अब ना कोई कैनवास
रंगों से सजते हैं
ना सादे कागज पर स्याही शब्दों से ....
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