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तेरी याद (कविता )

  तेरी याद (कविता)




   इक याद तेरी, मेरी सांसों से 
   गुजरती जरूर है 
   पर कोई जवाब 
   रूह को मयस्सर नहीं ....

   इक उदासी रगों में छाई यूं है 
   ना कल का इल्म है 
   ना आज की खबर 
   कोई इन खबरों का ठौर 
   बता नहीं सकता.... 

   पर अनहद उन विचारों का
   जो सांसों की पटरी से 
   होकर चलती है,
   कोई दफन, कर नहीं सकता....

    कब कौन सी कहानी 
    कैसे शुरू हो जाये 
    कोई कह नहीं सकता
    जिन्दगी तो नाट्यशाला है 
    एक पर्दे के बाद
    दूसरा पर्दा आ ही जाता है ...

    सच तो, बस ये है 
   जिंदगी की डोर
   कब खत्म हो जाये 
   कोई जोड़ नहीं सकता...

   तुम्हारा आना, ना आना 
   बेफिजूल का ख्याल है
   रात के अंधेरे में 
   खुद का साया भी 
   कभी अपना हो नहीं सकता...
  


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