31-1-22
हमलोग सभी के साथ होते हैं यह जानते हुए की हमारे साथ कभी कोई नहीं होगा.... स्वार्थो की टोली में रहते हैं हम, पर कोई बात नहीं ईश्वर हमारे साथ है..
29-1-22
जब रिश्तों में बनावटीपन नजर आने लगता है, तो मेरे हाथ खुद ब खुद छूटने लगते हैं....
इच्छा की ताकत 28-1-22 ☕️
कुछ पाने की चाहत में कुछ छोड़ने की बड़ी इच्छा की थी हमने, बड़ी शिद्दत के साथ.... हर दिन हर पल
फिर ब्रहमांड ने भी कोशिशें जारी रखी....
धीरे -धीरे आस पास के लोगों ने साजिशें करनी शुरू कर दी,
कुछ अपने थे कुछ पराये....
सबकी साजिशें कामयाब हो गई,
सबने सोचा आखिर हम जीत गए, छोड़ने को भी मजबूर कर दिये....
पर उन्हें क्या पता यह तो हमारी इच्छा का असर था। 😊
आज बात पसंद नापसंद की ☕️
26-1-22
* मुझे भीड़ पसंद नहीं.... लोग कह सकते हैं अकेले रहना पसंद है पर ये सच नहीं है। मुझे अकेलापन सच में पसंद नहीं, परन्तु एकांत बहुत पसंद है।
अकेलापन और एकांत में बहुत ज्यादा diffrence होता है....
एकांत खुद से रूबरू कराने का सबसे बेहतरीन जरिया है। आप असल में हैं 'कौन' ये एकांत से ही संभव है।
चुनाव
*हम जो सुनते हैं जो देखते हैं और जैसे लोगों के साथ या जिस तरह के समाज में हम रहते हैं वैसे ही हम धीरे-धीरे बन जाते हैं। तो हमें चुनाव तो करना पड़ेगा ही कि हमें क्या बनना है। विकल्प ढूंढना पड़ेगा देखने, सुनने, समझने, और साथ का....
यह कोई भारी-भरकम फार्मूला नहीं है बहुत ही साधारण सी चीज है। अगर हम जिंदगी की हर बात में शिकायत ढूंढने वाले लोगों के साथ ज्यादा रहते हैं धीरे-धीरे उनकी तरह ही शिकायती हो जाते हैं। अगर हम खुशनुमा लोगों के साथ रहते हैं तो हम वैसे ही खुशनुमा बन जाते हैं। अगर ईमानदार लोग के साथ रहते हैं तो ईमानदार बन जाते हैं।
सही विकल्प बहुत महत्वपूर्ण हथियार है जीवंत रहने का..... वरना मुर्दे की कमी नहीं शहर में...
मैं स्वर्ग में हुँ
25-1-22
सच ही तो है ना....
लेकिन स्वर्ग और नरक में बस एक भाव का ही डिफ्रेंस है।
असल में जब हम खुश रहते हैँ तो हम स्वर्ग में हैं, अगर हम दुखी होते हैं तो हम नरक में हैं।
फिलहाल तो मैं स्वर्ग मैं हुँ🙂
20-1-22
आवाज़ का जादू रूह से होकर गुजरे...
शब्द कितने सिंपल है मगर आवाज़ में क्या जादू है,
सुनते ही जा रही हुँ, बस सुनते ही जा रही हुँ.....
वक्त कभी कभी मिलता है...
वक्त से याद आते हैं वो समय जब वक्त ही वक्त था पर उसका सही से उपयोग हमने नहीं किया क्यूँकि उतनी समझ और जानकारी नहीं थी.....
शायद सबके साथ ऐसा ही होता है कुछ एक को छोड़कर जो अपने को पहचान जाते हैं और वक्त का सही जगह सदुपयोग करते हैं...
अब लगता है वक्त कम है काम बहुत ज्यादा... सच में गुजरते वक्त के साथ वक्त कम होता जा रहा है करने को बहुत कुछ है...
रात के 12 बज रहे हैं Arjeet singh को सुन रही हुँ... काफी वक्त के बाद 😊
जब हर तरफ शांति होती है
तो खुद के लिये वक्त मिलता है
खुद से रूबरू होने का अहसास होता है...
जब हर तरफ शोर होता है
तो सबका दीदार होता है
चूल्हे पे चाय की पतेली होती है
बच्चों की किलकारी होती है
साथी की मीठी नोंक-झोंक
स्वर्ग का अहसास होता है
जिंदगी के खुशनुमा आँगन में
बस वक्त की कमी होती है.....
~रश्मि
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