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पारले जी और चीनी वाला बिस्कुट


क्या आपने भी बचपन में पारले जी और चीनी वाला बिस्कुट खाया है, निःसंदेह खाया ही होगा। बचपन की कुछ यादें होती हैं जो हमें कभी भूल नहीं देती मैंने भी पारले जी बिस्कुट खायी है। पारले जी बिस्कुट के साथ एक कभी ना भूलने वाली यादें जरूर मेरे अवचेतन मन में छायी रहती है। ये एक ऐसा किस्सा है जिसने मुझे एक ईमानदार इंसान बनने की नींव रखी थी। और यह किस्सा मेरे नाना जी से शुरू होता है।

दरअसल मेरे नाना जी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी थे और अपने कार्य के प्रति ईमानदारी इतने थे की लोग उनकी ईमानदारी की मिसाल देते थे।

अब ना भूलने वाली यादें यह है कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी होने के कारण घर पर लोगों का आना जाना लगा रहता था तो हुआ युं कि काम के सिलसिले में किसी गांव के विद्यालय से एक आदमी हमारे घर आये। नाना जी से कुछ कार्य करवाना था, नाना जी थोड़ा गुस्सा थे शायद कार्य सही ढंग से नहीं करने की वजह से।

मुझे उस वक्त ज्यादा समझ नहीं थी, मैं वही बैठी हुई गुड़िया से खेल रही थी। काम खतम होने के बाद नाना जी उपर अपने कमरे में चले गए शायद कागज या फाइलें रखने के लिए । तब उस आदमी ने मुझे एक पारले जी और एक और चीनी वाला बिस्कुट का पैकेट दिया, जिसका नाम मुझे पता नहीं था पर उस बिस्कुट के उपर चीनी के दाने थे, आज भी उस बिस्कुट के नाम नहीं पता।

खैर वो आदमी बिस्कुट का पैकेट मुझे पकड़ा कर चले गये। मैं छोटी बच्ची थी मन ललचाया गया और जैसे ही मैंने पारले जी बिस्कुट के पैकेट को खोल कर एक बिस्कुट  मुख में डालने जा रही थी कि नाना जी आ गये। नाना जी ने मुझेसे पूछा ये बिस्कुट का पैकेट कौन दिया तो मैं उस आदमी के बारे मे बतायी कि उन्होंने ने दिया। नाना जी ने तुरंत बिस्कुट के सारे पैकेट मेरे हाथ से ले लिए और खुले हुए पैकेट में से मेरे हाथ में पकड़ा हुआ बिस्कुट लेकर पैकेट में रख उस पैकेट को एक गोंद जो उस समय ब्लू रंग के डब्बे में आता था चिपका दिये।

नानाजी घर में से दुसरा बिस्कुट का पैकेट पकड़ा कर बाहर बस पकड़ने चले गये, उस व्यक्ति के घर जाकर, जो किसी गांव में था वापस करके आये। जितना का बिस्कुट नहीं था उससे कहीं ज्यादा जाने आने में पैसे खर्च हो गये। और परेशानी अलग से हो गयी।

नानाजी की ईमानदारी की एक बस छोटी सी मिसाल है पता नहीं कितने और किस्से हैं उनकी ईमानदारी के। नौकरी मैं रहते हुए ही उन्हें ईमानदारी पूर्वक कार्य करने के लिए राष्ट्रपति से गोल्ड मेडल पुरूस्कार की प्राप्ति हुई।

ये थी बिस्कुट से जुड़ी मेरी यादें, है तो एक बस महज एक किस्सा पर कहीं ना कहीं एक ईमानदारी की नींव जरूर मेरे अंदर इस वजह से पड़ गई थी।

क्रमशः

~रश्मि


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