Ticker

6/recent/ticker-posts

जंगल की कहानियां (Part 1)

भुमिका:-  मेरे बच्चों को सोने से पहले कहानी सुनने की आदत है तो रोज रोज पढ़कर कहानी सुनाना  कभी -कभी मुश्किल काम होता है तो मैं उसे काल्पनिक चरित्र  रेजर और लेजर की कहानी रोज सुनाती हुँ। रेजर और लेजर नाम मेरे बच्चों ने ही रखा है।उम्मीद है सभी बच्चों को ये कहानी पसंद आयेगी....

 1. रेजर और लेजर चले स्कूल Part 1

एक जंगल में बहुत सारे विभिन्न प्रकार के जानवर रहते थे, जंगल जानवरों और पक्षियों से गुलजार रहता था। जंगल के बीचों-बीच एक बहुत भयानक गुफा थी.उस गुफा की छत पर दो बड़े-बड़े डायनासोर जैसे पत्थर लगे थे और उस गुफा के दरवाजे बाघ जैसी मुखाकृति के थे।उस गुफा में एक बाघ-बाघिन अपने दो बच्चों रेजर और लेजर के साथ रहा करते थे। 


रेजर और लेजर बहुत शरारती बाघ थे, दिनभर घमाचौकड़ी मचाया करते थे। सारे जंगलवासी उनकी शरारत से परेशान हो चले थे। एक दिन जंगलवासी रेजर और लेजर के माता-पिता बाघ-बाघिन से मिलने गये और उनसे कहा आप अपने बच्चों को जंगल के स्कूल में भेज दिया करो..... हमसभी जंगलवासी को बहुत परेशानी होती है। बाघ-बाघिन ने कहा अच्छा विचार है, हम कोशिश करेंगे उन्हें स्कूल भेज सके। सभी जंगलवासी को यह सुन बहुत प्रसन्नता हुई और बाघ-बाघिन को धन्यवाद कहकर चल दिये।

अगले दिन सुबह रेजर -लेजर जागे तो उनकी माँँ ने कहा- उठो बच्चों जल्दी से तैयार है जाओ, हमें एक जगह जाना है। बच्चे बहुत खुश हो गये उन्हें लगा हमलोग घुमने जा रहे हैं। जब वो सभी एक बहुत सुंदर पेड़-पौधों से बने भवन जैसी जगह पर पहुंचे तो उन्होंने देखा- बहुत सारे जानवर के बच्चे खेल रहे हैं। बंदर झुला झुल रहा था, कुछ गिलहरी अपनी पुंछ से चित्र बना रही थी। बहुत सारे खरगोश इधर-उधर दौड़ रहे थे, कुछ पक्षी गा रहे थे  तो हाथी अपनी सुंड़ से लिखने में वयस्त था। 


हर तरफ उत्सव जैसा माहौल नजर आ रहा था।    रेजर-  हम कहाँँ आ गये माँ ये कौन सी जगह है।।    बाघिन - इस मनोरम जगह को स्कूल कहते हैं यहाँ हम अच्छे जंगलवासी बनते हैं और जीवनयापन के तरीकें सीखते हैं। मेरे प्यारे बच्चों अब तुम्हें रोज कुछ समय के लिये यहीं रहना होगा। तुम्हारा ये स्कूल बैग है इसमें लंचबॉक्स है, भुख लगे तो लंच कर लेना।
 लेजर - रेजर - ओह माँ तुम कितनी अच्छी हो, हमें कितनी अच्छी जगह लायी हो।
यह कहकर लेजर और रेजर एक दुसरे को कुटिलता भरी नजरों से देखने लगे।

बाघिन- अच्छा बच्चों ठीक है अब तुमदोनों भाई अच्छे से पढ़ाई करना और शरारत बिल्कुल मत करना।
रेजर- हाँ ठीक है, अच्छा माँ अब तुम जाओ कहकर दोनों भाई स्कूल की ओर कदम बढ़ा दिये.....

लेजर-रेजर स्कूल के अंदर चले गये और उन्होंने देखा की बंदर झुला झुल रहा है तो रेजर उछल कुद करते हुये झुले की रस्सी को चुपके से काट दिया और वहाँ से चल निकला। बंदर धड़ाम से उई माँ करते हुये गिर पड़ा, उसे बहुत जोरों की चोट लग गई। यह देख हाथी दौड़ता हुआ बंदर के पास आया ओर बोला क्या हुआ कैसे तुम गिर गये, तुम्हें ज्यादा चोट तो नहीं आयी । 

उधर हाथी राजा को बंदर के पास देख लेजर चुपचाप  हाथी की कापी और कलम को फेंक भाग गया और जोर-जोर से दोनों भाई हंसने लगे। फिर घुमते - घूमते गिलहरी के रंगों को अपने पैर से गिराते हुये युँ आगे बढ़ चले मानों उन्होंने कुछ किया ही ना हो। इस तरह लेजर-रेजर बहुत शरारतें करते गये। सारे जानवर इकट्ठा होकर डायनासोर रेक्स टीचर के पास गये और सारा हाल सुनाया। 
डायनासोर रेक्स गुस्से से - लेजर -रेजर इधर आओ...
लेजर-रेजर चुपचाप सर झुका कर खड़ा हो गया।
टीचर- तुमदोनों आते साथ बहुत बदमाशी की है अब तुम्हें दण्ड मिलेगा, दोनों उल्टा हो जाओ और A for Apple का spelling याद करो और उल्टे होकर ही ABCD पुरा लिखो नहीं तो आज घर जाने नहीं मिलेगा।

रेजर-लेजर उल्टा होकर पढाई करने लगे तो स्कूल के सारे जानवर जोर -जोर से हँसने लगे। रेजर- लेजर मन ही मन सोच रहे थे ओह मैं कहाँ फँस गया, बाद में बताऊंगा तुम सबको। फिर शाम हो चली तो बाघिन अपने बच्चों को लेने आयी और रेजर-लेजर को लेकर गुफा की ओर चल पड़ी। घर पहुंच कर बच्चों ने हाथ- मुँह साफ कर खाना खाया और सोने चले गये।
रेजर ने कहा- लेजर कल सबको मजा चखना है वो जानवर हमारे उपर हँस रहे थे।
लेजर- हाँ भईया कुछ तो करना पड़ेगा...
रेजर- चलो अब सो जाते हैं काफी थकावट हो गई है।
लेजर- हाँ भईया गुडनाइट
रेजर- गुडनाईट मेरे प्यारे भाई......
(क्रमशः)
Next part 2 में...
~रश्मि












Post a Comment

2 Comments

Do not post spam links