कहानी वो नहीं (कविता)
जो हमेशा कही जाती है
कभी सोचा है तुमने
कहानी वो नहीं होती
जो दिखती है
कहानी वो भी नहीं होती
जो सौंदर्यात्मक रूप में
प्रस्तुत की जाती है....
कभी पर्दे के पीछे
झाँक कर देखा है तुमने
दूसरों का सब अच्छा नहीं होता
अपना सब बुरा बुरा नहीं होता
जो कहानी किसी के लिए अच्छी
तो दुसरे के लिए बुरी भी होती है
कभी हमने सोचा है....
जो देख रहे हैं
वो मृगमिरीचा तो नहीं
जो दिखाया जा रहा
वो भ्रम तो नहीं
खोलिये खिड़की
व गफलत की डिबिया
जो है वो किसी नियामत से कम ना हो....
कहानी वो नहीं, जो हम सोचते हैं
वक्त तब तक अच्छा है
जब तक हाथ-पांव है
पेट में अन्न - तन में लिबास है
यह हम नहीं सोचते हैं
इसलिए फिर क्यों ....
किसी के भ्रम का जाल
सच माने
कहानी वो नहीं होती
जो दिखाया जाए ...
रश्मि ~
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