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17-12-2022

 
17-12-2022
3. PM

मेरी प्यारी नानी


किसी का यूँ चले जाना
चुपके से...
बिन कहे
मगर 
कहे जाना...
चुपके से 
अब कभी ना
आना होगा
ना गले मिलना
ना महसूस करना... 
ना मिलना होगा दोबारा...
काश वक्त का पहिया
पीछे ले चले तो 
भर लूँ मैं तुम्हें
अपने आलिंगन में
तुम्हारी चेहरे की झूरियों को
अपने होठों से चुम लूँ.....
अब कौन कहेगा
फिर कब आओगी
आंसू की गंगा जमुना
मेरे लिये कौन बहायेगा...
सन्देश की पोटली
ढूंढ- ढूंढ़ कर 
अब कौन बाँधेगा...
एक तु ही तो थी
शाश्वत प्यार मेरा 
बिना छल - बिन प्रश्न
बिन कपट - बिन झूठ
तुझ जैसा और कोई नहीं था 
इस जहाँ में....

 



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