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डायरी - 2

डायरी -2






14-9-22

 कई बार हमारे जीवन में या किसी और के जीवन में ऐसी बातें हो जाती हैं कि हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है। इस बार घटना तो किसी और के साथ हुई पर सोचने पर हम मजबूर हो गए।
 कई दफा जीवन में ऐसा होता है कि कुछ चीजें चाहे वह सामान हो या रिश्ते या फिर कोई और बात अगर वह हमसे छीन जाता है या दूर हो जाता है या फिर हमसे कोई ले लेता है।
 अब सवाल यह है कि ऐसा क्यों होता है ?
 मन में यह सवाल उठते तो है ही ना ऐसा आखिर क्यों हुआ? हमारी तो कोई गलती ही नहीं थी। पर हम कभी नहीं सोचते हैं की कोई भी चीज इसलिए हमारे जीवन से चली जाती है या कोई ले लेता है या कभी-कभी आपसे छीन ली जाती है तो अपने आप से पूछना चाहिए - कि वह चीज आप की थी? या फिर आपको किसी और का हक दे दिया गया था। चाहे किसी से छीन कर या छल से येन-केन प्रकारेण जैसे भी हो वह आपको मिला। जिस पर आपका हक नहीं,  किसी और का था जो आपने ले लिया।

 जब वह चीज हमारी थी ही नहीं तो हमेशा कैसे हमारे पास रहेगी? उसे तो जाना ही होगा.....
 आपने किसी का हक लिया आपसे किसी और ने ले लिया। शायद ईश्वर हर किसी का खाता-बही रखता है वक्त आने पर सब का हिसाब-किताब हो जाता है इसलिए दुख किसी चीज के जाने का मत मनाइए बल्कि पछतावा उस बात कि हमसे कहीं ना कहीं गलती हुई।


16-9-22
 बारिश की बूंदे और चाय की चुस्कियां और उसके साथ कविता लिखना या पढ़ना भी हो, साथ ही साथ किसी ग़ज़ल में खो जाना फिर लगे जिंदगी बेहद खूबसूरत है।

" खुली खिड़की बारिश की बूंदे
  चाय की चुस्कियां
  कागज पे रूह को लिखना
  रेडियो पर चलता मध्यम संगीत 
  जिंदगी खूबसूरत है
  यह एहसास भी
  बहुत अलहदा है "


17-9-22

 पतिदेव से कहा मैंने - सुनने में आया है कल हमारे राजा का जन्मदिन था। पतिदेव महोदय ने बताया कि जन्मदिन के अवसर पर रक्तदान कार्यक्रम हुआ।
 मैंने कहा यह तो अच्छी बात है राजा ने अपने जन्मदिन पर खुद का रक्तदान किया। अच्छा मैसेज जाएगा लोगों के बीच...
 फिर पता चला मुझे समझने में ही गलती हुई राजा ने नहीं बल्कि राजा के जन्मदिन पर प्रजा ने अपना रक्तदान किया है। चलो वह भी अच्छा है राजा ना सही पर प्रजा ही सही बस अच्छा काम होना चाहिए चाहे वह प्रजा के द्वारा ही हमेशा क्यों ना हो हर सुख दुख में प्रजा ही तो अपना फर्ज निभाती है ना। कभी चंदा देती है तो कभी रक्तदान करती है...
 एक बात तो बताना ही भूल गए हम, राजा ने अपने जन्मदिन के अवसर पर चीता लाने का कार्यक्रम भी चलाया है
 राजा के कथानुसार  - " मुझे आज इस बात की भी खुशी है कि भारत की धरती पर अब 75 साल बाद चीता फिर से लौट आया है अब से कुछ देर पहले मुझे कूनो नेशनल पार्क में चीतों को छोड़ने का सौभाग्य मिला "

 कृपया भक्तजन परीक्षा में चीता से संबंधित प्रश्न आए तो किताब पढ़ लीजिएगा। केवल राजा के वक्तव्य को सही उत्तर समझ लीजिएगा तो गई भैंस आपकी पानी में।

 हमारे देश में कभी चीतों की कमी नहीं थी।  असल में हमारे देश में राजा महाराजाओं के द्वारा बड़े पैमाने पर शेर - चीतों  का शिकार किया जाता था। शायद यह एक प्रमुख कारण हो सकता है चीतों की संख्या कम होने की, और भी कई कारण हो सकते हैं। धीरे धीरे देश में चीतों की संख्या कम होती चली गई। साल 1952 में भारत से एशियाई चीता को विलुप्त घोषित कर दिया गया था।

 जनवरी 2022 में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव कूनो नेशनल पार्क पर जोर देने के साथ भारत में चीतों को फिर से शुरू करने के कार्य पर ध्यान दिया गया।

 2022 से पहले 2009 में भी चार चीतों को भारत लाया गया था। उस समय मीडिया में राजा का शासन नहीं था तो वे हमें स्वर्ग की सीढ़ी  दिखा रही थी भुत-प्रेत, आत्मा की आवाज़ दिखा रहे थे इसलिए पता ही नहीं चला होगा जनता को कब चीता आया कब चला गया।  अभी तो सब चीता की पोशाक पहने नज़र आ रहे हैं चीता-चीता गीत गा रहे हैं, तरह तरह के चीते नुमा उछल उछल कर करतब दिखा रहे हैं। इसलिए सबको पता चला चीता आया चीता आया ..... 
 बरहाल 2014 आते-आते एक एक करके चीतों की मौत हो गई। वैसे कहा जाता है कि 2009 से पहले भी चीतों को बाहर से लाया गया था बाद में उसकी भी मौत हो गई। तो यह कहना गलत है कि 75 साल बाद हमारे देश में चीता आया।.....





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