कोशिका सजीवों के शरीर की संरचनात्मक क्रियात्मक एवं प्रजनन की इकाई है। कोशिका का निर्माण जीव द्रव से हुआ है। जीवद्रव्य के अंदर केंद्रक होता है और यही केंद्रक कोशिका की जैविक क्रियाओं का नियंत्रण और संचालन करता है।
कोशिका की खोज सर्वप्रथम रॉबर्ट हुक ने 1665 ईस्वी में की थी। रोबर्ट हुक ने कोशिका की खोज के दौरान स्वनिर्मित माइक्रोस्कोप के द्वारा कार्क के महीन टुकड़े में छोटे -छोटे कमरे देखे थे। इन्हीं कमरे को उन्होंने सेल (cell) के नाम से पुकारा।
सन 1673 इसी में एंटोनी वान लियूवेनहॉक
(A.Von Loauwenhoek) ने एक नए Improved Microscope का आविष्कार किया और कोशिका को और अच्छी तरह से देखने में वह सबसे पहले सफल हुए। सन 1831 ईस्वी में रॉबर्ट ब्राउन ने कोशिका के भीतर केंद्रक की खोज की।
सन 1839 ईस्वी में Schwan और Schleiden नामक जीव वैज्ञानिक ने कोशिका सिद्धांत का प्रतिपादन किया और उन्होंने सबसे पहले बताया कि प्रत्येक जीव का शरीर सूक्ष्म इकाइयों से बना होता है जो कोशिकाएं होती हैं।
1840 ईसवी में पुरकिंजे ने और 1846 ईसवी में Von Mhol ने कोशिका के भीतर अर्द्धतरल (Semiliquid) दानेदार पदार्थ का पता लगाया जिसे प्रोटोप्लास्ट (protoplasm) कहा गया।
1846 ईस्वी में Altman ने माइटोकॉन्ड्रिया (mitrochondria) का और वाल्डेयर ने क्रोमोसोम्स (chromosomes) का पता लगाया था।
कोशिका का निर्माण विभिन्न प्रकार के घटकों से होता है जिन्हें हम कोशिका के अंग कहते हैं। प्रत्येक कोशिका के अंग एक विशेष प्रकार का कार्य करते हैं और इन कोशिका के अंगों के कारण ही कोशिका एक जीवित संरचना है जो जीवन संबंधित सभी प्रकार के कार्य करने में सक्षम होती है।
कोशिका की संरचना को निम्न तरह से divide कर सकते हैं।
1. कोशिका (Cell)
A. 1. कोशिका झिल्ली (Cell membrane or
Plasma membrane)
2. कोशिकाभित्ति
B. जीवद्रव्य ( Protoplasm )
कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm)
1 अंत: प्रद्रव्यी जालिका ( Endoplasmic Reticulum )
2. माइट्रोकांड्रिया (mitochondria)
3. गॉल्जी उपकरण (Golgi apppratus)
4. लाइसोसोम (Lysosome)
5. रिबोसोम (Ribososme)
6. सेंट्रोसोम (centrosome)
7. हरितलवक (chloroplast)
8. अवर्णीलवक (Leucoplast)
C. केंद्रक (Nucleus)
1. केंद्रक झिल्ली (Nuclear membrane)
2. न्यूक्लियोलस (Nucleolus)
3. केंद्रक द्रव्य (Nucleoplasm)
4. क्रोमेटिक जालिका (Chromatin
reticulum)
कोशिका झिल्ली (Cell membrane / Plasama membrane)
कोशिका के सबसे बाहरी वाले भाग को कोशिका झिल्ली या प्लाज्मा मेंब्रेन कहते हैं। यह झिल्ली अर्धपारगम्य होती है जिनमें से कुछ पदार्थ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकते हैं पर सभी पदार्थ नहीं, इसलिए इसे चयनात्मक पारगम्य झिल्ली (Selectively permeable membrane) भी कहा जाता है।
रासायनिक रूप से प्लाज्मा मेंब्रेन एक त्रिस्तरीय (three- layered) रचना होती है। सबसे बाहरी leyered और सबसे भीतरी leyered दोनों ही प्रोटीन का बना होता है। बाहरी और भीतरी स्तरों के बीच लिपिड की एक परत होती है। इसी प्रोटीन -लिपिड -प्रोटीन रचना को रॉबर्टसन ने यूनिट मेंब्रेन का नाम दिया।
कोशिका झिल्ली का प्रमुख कार्य है कि यह 1.कोशिका को एक निश्चित आकार बनाए रखने में मदद करती है।
2. कोशिका को बाहरी चोटों से बचाने का कार्य करती है।
3. जब अलग-अलग प्रकार के अणुओं को बाहर निकलने और अंदर आने में नियंत्रण करने का कार्य करती है
4. जंतु कोशिका में यह microvilli, फ्लैजिला, सिलिया आदि के निर्माण में मदद करती है।
कोशिका भित्ति
कोशिका भित्ति सिर्फ पादप कोशिका में पाई जाती है। पादप कोशिका चारों ओर से एक मोटे और कड़े आवरण द्वारा घिरी रहती है जिसे कोशिका भित्ति कहते हैं। कोशिका भित्ति सैलूलोज से बनी होती है जिसके कारण ही पादप कोशिका को मजबूती प्रदान करने का कार्य होता है। इसकी वजह से ही कोशिका भित्ति कड़ी और निर्जीव होती है।
कोशिका भित्ति के कार्य -
1.कोशिका भित्ति भी कोशिका को एक निश्चित आकार और सुरक्षा प्रदान करती है
2. कोशिका को सूखने से बचाने का कार्य करती है।
3. कोशिका भित्ति प्लाज्मा मेंब्रेन को रक्षा करने का काम करती है।
जीव-द्रव्य (Protoplasm)
जंतु कोशिका में जीवद्रव्य अर्द्धपारदर्शी (translucent) गाढ़ा और लसलसा सा पदार्थ है। जो अर्द्धठोस अवस्था में रहता है। जीवद्रव्य कोशिका झिल्ली और केंद्र का बीच वाला भाग है।
इसमें कुछ और कार्बनिक पदार्थ खनिज लवण और जल एवं कार्बनिक पदार्थ कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन आदि पदार्थ होते हैं।
अलग-अलग प्रकार की उपापचयी क्रियाओं को संपन्न करने के लिए कोशिका के भीतर जीव द्रव में विभिन्न प्रकार की रचनाएं पाई जातीहै। इन्हीं रचनाओं को कोशिकांग (Cell Organelle)
कहते हैं। जिन कोशिका के अंग झिल्ली युक्त होती है उसे यूकैरियोटिक कोशिकांग कहते हैं। जिन कोशिका के अंग झिल्ली युक्त नहीं होते हैं उसे प्रोकैरियोटिक कोशिकांग कहते हैं।
कोशिकाद्रव या जीवद्रव में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की रचनाएं इस प्रकार है
1. अंतः प्रद्रव्यी जालिका (Endoplasmi reticulum)
2. माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria)
3. गोलजी उपकरण (Golgi apparatus)
4. राइबोसोम (Ribososme)
5. लाइसोसोम (Lysosome)
6. सेंट्रोसोम (Centrosome)
7.हरित लवक (chloroplast)
8. वर्णीलवक (Chromoplast)
9. अवर्णीलवक (Leuceoplast)
10. रसधानी (Vacuoles)
केंद्रक (Nucleus)
जीव द्रव के बीच में एक गोल या अंडाकार गाढे रंग की रचना पाई जाती है उसे केंद्रक कहते हैं।
केंद्रक के चारों तरफ से एक दोहरी झिल्ली से घिरी रचना होती है जिसे केंद्रक झिल्ली कहते हैं।
केंद्रक झिल्ली जो कि छिद्रयुक्त होती है के द्वारा केंद्रक द्रव और जीवद्रव के बीच पदार्थों के आवागमन की प्रक्रिया होती रहती है।
केंद्रक के अंदर पाए जाने वाले द्रव को केंद्रकद्रव कहते हैं। केंद्रक द्रव्य में एक धागे जैसी रचना पाई जाती है, जिसे क्रोमेटिंन जालिका कहते हैं। यह क्रोमेटिंन जालिका डीएनए और प्रोटीन से बने होते हैं। डीएनए के द्वारा ही अनुवांशिक गुणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाने का कार्य होता है।
कोशिका विभाजन के समय क्रोमेटिंग जालिका अलग होकर के कई छोटी रचना में बदल जाती है जिसे ही क्रोमोसोम कहते हैं। क्योंकि डीएनए के अणु में कोशिका के निर्माण एवं उसके संगठन की सभी आवश्यक सूचनाएं संग्रहित होती है। इसलिए डीएनए के क्रियात्मक खंड को जीन कहते हैं। यह जीन ही हमारे अनुवांशिक या पैतृक गुणों के वाहक होते हैं।
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