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मानसिक ऊर्जा का सही जगह उपयोग


आज एक अलग ही किस्म की बात हुई जिसमें मुझे बहुत कुछ सोचने पे मजबूर कर दिया यह बात है हमारी ऊर्जा की।
आज मैं कुछ काम कर रही थी और अपने बच्चे को बेफिजूल हर जगह लाइट जलाने के लिए मना कर रही थी पर वह समझ नहीं पा रहा था मैं क्यों ऐसा कह रही हो।
मेरे बच्चे ने पूछा मम्मा हम क्यों हर हर जगह लाइट जला कर नहीं रख सकते हैं.....

 मैंने कहा बेटा जहां जरूरत होती है वही लाइट जलानी चाहिए जैसे मैं किचन में काम कर रही हूं तो किचन में लाइट चला सकते हैं अगर तुम अपने कमरे में हो तो लाइट जला सकते हो पर जहां तुम नहीं हो मैं जहाँ नहीं हूं या जहां हमलोग काम नहीं कर रहे हैं वहां बेवजह लाइट जलाने से हमारी घर की ऊर्जा बर्बाद होगी फिर ऊर्जा की कमी हो जाएगी और हमें अंधेरे में रहना पड़ेगा तो हमें ऊर्जा की  जहां जरूरत है वही खर्च करनी चाहिए।

मेरे बेटे ने कहा - मम्मा मैं समझ गया जहां लाइट की जरूरत नहीं है वहां लाइट जलाने से लाइट कम हो जाएगी - मैंने कहा हां मेरे बच्चे ऐसा ही होता है...
 इस वाकये मैं मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया ऐसा तो हमारी मानसिक ऊर्जा के साथ भी होता है।
हम हमेशा अपनी मानसिक ऊर्जा को जहां जरूरत नहीं होती वहां खर्च करते रहते हैं और मानसिक ऊर्जा बेवजह और गलत जगह खर्च करने से हमारी सकारात्मक उर्जा का ह्रास होता है।



® जब हम सही जगह अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल नहीं करते तो वह हमारे लिए बहुत विनाशकारी होता है।
गलत बात तो और गलत चीजों में अपनी उर्जा लगाने से हमें कुछ हासिल नहीं होता तो यह हम पर निर्भर करता है हम अपनी शक्ति अपनी ऊर्जा कहां खर्च करें जिससे हमारा फायदा हो और हम जीवन में सफलता की ओर बढ़े।  वरना तनाव व निराशा के दलदल में फंसे रह जाते हैं जिससे हमें नुकसान ही होता है।

® जैसे अगर हम सोशल साइट्स या बेवजह अपने दोस्तों के साथ समय बिताना गप्पे मारना आदि  करते हैं तो हमारी उर्जा गलत जगह खर्च होती है ठीक उसी प्रकार जिस कमरे में कोई नहीं हो वहां हमेशा लाइट पंखा एसी जला कर रख देने से क्या होता है ऊर्जा का गलत इस्तेमाल होता है।



® प्रश्न यह है कि हम अपनी ऊर्जा कहां खर्च करें उसका सही इस्तेमाल कहां करें ताकि वह हमारे लिए फायदेमंद हो......
 तो इसके लिए हमें अपने अंतर्मन में ढूंढना होगा कि हमारे जीवन में क्या महत्वपूर्ण है और हमें अपनी लाइफ से क्या अपेक्षा है जब हम अपने आपसे प्रश्न करते हैं तो आप देखेंगे कि हमें अपने सवालों का जवाब भी मिल गया है।

® अगर किसी व्यक्ति के लिए उसके बच्चे सबसे ज्यादा महत्व रखते हैं तो वह चाहेगा कि उसके बच्चे अपने जीवन में बहुत आगे बढ़े तरक्की करें तो हम क्या करेंगे यही ना कि अपने बच्चों पर ज्यादा ध्यान देंगे क्योंकि हमारे बच्चे हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है तो हम अपनी उर्जा को अपने बच्चे पर खर्च करेंगे कहीं और नहीं......

® उसी प्रकार अगर हमारे लिए सबसे जरूरी चीज शिक्षा है तो हम अपनी उर्जा को शिक्षा पर खर्च करेंगे। अगर हमारे लिए हमारा व्यवसाय नौकरी ज्यादा महत्व रखता है और यह हमारे लिए ज्यादा जरूरी है तो हम अपने व्यवसाय नौकरी पर ज्यादा काम करेंगे। तो हम अपनी एनर्जी को ज्यादा उपयोग महत्वपूर्ण चीजों पर करेंगे। अगर हम ऐसा नहीं करते तो तो हमारी सफलता में यह बाधक होगा।

® इसलिए हम यह चुनाव करें कि हमारे लिए जीवन में क्या सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। जैसे अगर कोई अपने परिवार पर ज्यादा ध्यान ना दे कर अन्य दूसरी चीजों या दूसरे व्यक्ति या फिर दूसरे व्यक्ति की पारिवारिक समस्याओं में ज्यादा ध्यान दें तो क्या होगा? इसमें दो व्यक्ति की ऊर्जा शक्ति का गलत जगह इस्तेमाल होता है...

® पहले व्यक्ति की सारी ऊर्जा चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक या फिर आर्थिक उर्जा वहां खर्च होगी जो उसके लिए महत्वपूर्ण नहीं है।
 दूसरा व्यक्ति वह जो अपनी छोटी-छोटी समस्याओं के लिए दूसरे व्यक्ति पर निर्भर रहता है वह अपनी ऊर्जा का सही इस्तेमाल कभी कर ही नहीं पाता और उसकी ऊर्जा निरर्थक हो जाती है।
आप देखेंगे पहले व्यक्ति की और दूसरे व्यक्ति की उर्जा दोनों उर्जा निरर्थक हो गई। एक व्यक्ति ने अपनी उर्जा का गलत जगह इस्तेमाल किया दूसरे व्यक्ति ने अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल ही नहीं किया।

® पहले व्यक्ति के लिए जो महत्वपूर्ण था वह पीछे छूट गया और वहां उसने सारी ऊर्जा लगा दी जो महत्वपूर्ण नहीं था। अपने साथ-साथ उसने दूसरे की उर्जा को भी निष्क्रिय कर दिया। आगे चलकर इसका बहुत दुष्परिणाम ही निकलता है। और जो छूट जाता है वह शायद हम वापस हासिल नहीं कर पाते क्योंकि समय निकल चुका होता है और समय लौट कर कभी नहीं आता।

® तो यह हम पर निर्भर है कि हम अपनी ऊर्जा या शक्ति को खर्च करने का चुनाव किस प्रकार करते हैं..... क्योंकि यह हमारी शक्ति है कि हम क्या चुनते हैं।
जारी है.....








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