प्रिय सैनिक आज मैं आपको ये पत्र लिख रही हुँ, आज से पहले मैंने किसी को पत्र तो कम से कम नहीं लिखा। कभी जरूरत ही नहीं पड़ी या हमारे समय में पत्र लिखना बंद हो चुका है। आप तो समझ ही सकते होंगे इंटरनेट की वजह से FB या फिर whatsApp आदि की वजह से मुझे या मेरे जैसे करोड़ों लोगों को पत्र लिखने की जरुरत नहीं पड़ती। पर आज मैं आपको मेरे जैसे समस्त देशवासियों की तरफ से लिख रही हुँ जो कभी - कभार या युँ कहे की मुश्किल वक्त में आपको याद कर लेते हैं।
मैं ये कबुल करना चाहती हुँ कि हम आपको तभी याद करते हैं या आपकी परवाह तभी करते हैं जब हमारे देश के बॉर्डर पे हमला होता है या फिर युद्ध होता है और आप हमारी रक्षा और हमारे देश की सुरक्षा के लिए शहीद हो जाते हो।
तब आप अचानक से हमें याद हो जाते हो और हमे आपकी परवाह होने लगती है। शहीद होने पर दुख भी होने लगता है पर उतना दुख भी नहीं होता है कि हम आपकी मृत्यु पर खाना पीना छोड़ दे या रोने लगे, दर्द महसुस करे या फिर आत्महत्या का विचार करे या फिर डिप्रेशन के शिकार हो जाये जैसे की हमारे देश में अकालमृत्यु प्राप्त अभिनेताओं - अभिनेत्रियों के लिये होता है।
आपकी तस्वीरों के लिए हमारी दिवारों पे जगह नहीं होती पर नेता अभिनेता की तस्वीरों के लिये जगह निकल ही आती है। प्रिय सैनिक यही सच है जिसे कबुलने की हिम्मत इस पत्र के माध्यम से कर रही हुँ।
जब भी आप शहीद होते हो तब हमारे मन में एक बार ही सही क्षीण सा ही प्रश्न कौंधता जरूर है कि आप इतने दुर्गम स्थानों में कैसे रहते हो, किस प्रकार आपका जीवन होता है, क्या खाते होंगे, कैसे सोते होंगे... ढेरों प्रश्न मन में आता है।
प्रिय सैनिक गलवान घाटी में आप शहीद हुए तो टीवी चैनल में आपका न्यूज आता रहा.... शहीदों का न्यूज आया पर आपके बारे में उतना नहीं आता जितना आना चाहिए। खैर न्यूज पे ही एक आदरणीय डॉक्टर से कहते सुना कि कोविड 19 के दौरान अस्पताल में लगातार काम करते रहने के दौरान 8-10 घंटे लगातार दस्ताने पहनने से हमारे हाथ किस तरह से सुज गये हैं तो सोचिये हमारे सैनिक भाइयों का क्या हाल होता होगा जब वो कश्मीर, लद्दाख, गलवान घाटी जैसी जगहों पे डयूटी करते हैं।
प्रिय सैनिक तब से ही मैं सोचती आ रही हुँ आपका जीवन शैली कैसा होता होगा। दुर्गम इलाकों में आप किस प्रकार हमारे देश की सुरक्षा के लिए दिन -रात एक किये रहते हो चाहे भीषण गर्मी हो या भीषण ठंड।
यह जानने की उत्सुकता बहुत हुई। सोची चलो गुगल सर्च करती हुँ आपके बारे में कुछ पता चले पर प्रिय सैनिक बहुत अफसोस के साथ मुझे यह कहना पर रहा है कि आपके बारे में ज्यादा कुछ नहीं मिला।
सच कहती हुँ प्रिय सैनिक यही मैं किसी फिल्मी सुपरस्टार के बारे में सर्च करती तो उनका डी.एन.ए रिपोर्ट भी मिल जाता उनका रहन-सहन क्या चीज है।
खैर जाने दीजिए प्रिय सैनिक आपसे ही पुछ लेती हुँ.. मुझे तो कम ठंड भी बिल्कुल बरदाश्त नहीं होता पर आप किस प्रकार भयंकर कंपकपाने और शरीर को बर्फ बना देने वाले इलाकों में दिन -रात एक किये रहते हो।
बर्फीले पहाडों में बिना नहाये धोये, एक ही कपड़ें पहने हुये कई दिन डयुटी करते होंगे शायद। वैसे एक ही टाइप के कपड़ें पहनकर मन उब जाता होगा ना। पता है यहां तो फैशन की वजह से तरह -तरह के कपड़ें लोग पहनते हैं।
यहाँ का तो छोड़ ही दीजिए आपको जानकर हंसी आयेगी यहाँ तो बहुत सारे लोग खाने पहनने के लिये ही जीते हैं आपकी तरह थोड़ी है कि देश सेवा में प्राण न्योछावर किये हैं।
वैसे आपको तो फिट रहना होता होगा तो पोष्टिक भोजन करना पड़ता होगा अच्छा लगे या ना लगे। और हम हैं कि लॉकडाउन में तरह - तरह की रेसिपी सीख रहे हैं और बना कर खा रहे हैं.... और आप देश की सुरक्षा में लगे हुये हैं।
सुरक्षा से याद आया कि हम भई सुरक्षित होने के लिये लॉकडाउन हैं। क्या आप लॉकडाउन हुये, नहीं ना ?
जानती थी आप लॉकडाउन हो जाओगे तो हमारी रक्षा कौन करेगा। आप परवाह नहीं करते अपनी जान की.... देश की सुरक्षा के लिये जान देने को तत्पर रहते हो।
एक हमलोग हैं जरा सी खरोंच हमारे माँ बाप या पति- पत्नी और बच्चों को लग जाये तो दर्द होने लगता है।
वहीं आप और आपका परिवार कितना मजबुत होता है सब दुख झेल लेता है। हमारा कौई अपना कुछ दिनों के लिए भी आंखों से ओझल हो जाये तो हम तड़प उठते हैं। लेकिन आप तो कई महीनों तक अपने परिवार से दुर रहते हैं।अपने माँ-बाप, पत्नी-बच्चों से मिले हुये महीनों बीत जाते हैं और आप बिना उफ किये देश की सुरक्षा में लगे रहते हैं।
एक बात आपसे पुछनी है, आप की तरह जितने भी सैनिक सेना में भर्ती होते हैं वो ज्यादातर गांवों से ही आते हैंं। शायद आपके गांवों की आबोहवा शहरों और महानगरों की अपेक्षा बहुत अच्छी है या हमारे शहरों और महानगरों के लोगों में इतनी कुव्वत ही नहीं कि अपने बच्चों को सेना में भर्ती कर सके।
शहर-महानगर के बच्चे तो वैसे भी एम.बी.ए करेंगे, इंजीनियर बनेंगें। सुट-टॉय लगायेंगे, चमचमाते जूते पहनेंंगें, मंहगे ऐपल, रेडमी आदि मोबाइल फोन लिये होगें... कहाँ बर्फीले इलाकों, पहाड़ों, पथरीली कंकरीली रास्तों में भटकेंगें।
एक बात याद आ रही है, कुछ दिनों पहले मैंने कहीं इंटरनेट पे पढ़ा था कि यूपी के गाजीपुर गहमर को एशिया का सबसे बड़ा गांव कहा जाता है। वहां की जनसंख्या करीब एक लाख बीस हजार से ज्यादा की है। और इस गाँव की सबसे बड़ी रोचक तथ्य है कि यहां हर घर से कोई ना कोई सेना में भर्ती है। क्या किसी को पता है कोई शहर ऐसा है.....?
फिर भी प्रिय सैनिक हम आपको याद नहीं करते जब तक कि युद्ध ना हो आप शहीद ना हो जाये आपकी सुध-बुध नहीं लेते। हमलोग कितने निष्ठुर और मतलबी हैं...
4-7-20
क्रमशः
~रश्मि
10 Comments
👍👍
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteदिल को छु जाने वाली बात🙌👏
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद
DeleteBahut badiya
ReplyDeleteThanks
DeleteBilkul sahi bat ki aapne
ReplyDeleteशुक्रिया
DeleteAaj veer sainiko ki wajah se hi hm sukun sehai
ReplyDeleteहाँ सच तो यही है पर हम कद्र करना भुल गये हैं..
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