मुझे तो लगता है कि ऐसा होता है। किसी -किसी व्यक्ति की छठी इंद्री काफी स्ट्रोंंग होती है। और वो हमें आने वाली घटनाओं की ओर संकेत देने का कार्य करती है। रोजाना की लाईफ मे कुछ लोगों को कभी-कभी महसुस होता है कि कौई बात हमने सोची और कुछ समय बाद वैसा ही हो जाता है।
जैसे मेरे साथ कभी हुआ कि कुछ सामान कि ओर मैंने देखा और सोचा कि कहीं गिर ना जाये हालांकि गिरने की कौई संभावना नहीं थी फिर भी वो सामान थौड़ी देर बाद गिर जाता है। या कई बार हुआ है कि मेरे बच्चे खेल रहे थे मुझे लगा कि गिर जायेंगे और वाकई मे गिर गये, चोट लग गई। जब भी ऐसा ख्याल आता है तब मैं रोक क्यों नहीं पाती उन्हें। ये बात भी सोचने की है कि जब हमें ख्याल आता हो कुछ गलत होने वाला है तो रोकते क्यों नहीं। इसलिए तो नहीं कि ये होना ही था।
कई बार ऐसा भी होता है, कौई ऐसी बातें होती ह़ै कि हमें लगता है कि हमारे साथ ना हो जाये या काश हमारे साथ ये होता और वही बातें सालों बाद भी कभी हमारे साथ हो जाती है जिसके बारे में कई साल पहले हमारे मन मे ख्याल आया था।
ये बातें छोटी-छोटी भी हो सकती है और बड़ी भी। इनको भी हम आभास या छठी इंद्री की शक्ति कह सकते हैं।
कई दफा हमारे सपने में देखी हुई बातें सच बन जाती है और हम सामान्य तौर पर कहते हैं कि सपना सच हो गया लेकिन ये छठी इंद्री ही है जो हमें सपने मे आने वाली घटनाओं का आभास करा जाती है। सौच कर देखिए आपके साथ भी ऐसा हुआ हो या अक्सर ऐसा होता है।
मेरे साथ कई दफा ऐसा हुआ मैने सपने मे जो देखा वो वाकई में सच हो गया।
शायद सपने कई बार हमें वहां ले जाते हैं जो हमारे अवचेतन मन में होता है और ये पूर्वाभास के रूप में बाहर आ सकता है। मुझे लगता है जब भी हम सपने मे अजीब बात देखते हों उसे हम डायरी मे नोट कर लेनी चाहिए, क्योंकि कुछ समय पश्चात हम उन्हें भुल जाते हैं। क्या पता उस सपने का कौई खास महत्व हो।
कभी-कभी बहुत सारे व्यक्तियों के साथ ऐसा होता है कि उनके सपने में पुर्वज दिखाई देते हैं मतलब कि जो दुनियां से चले गये उनका सपने में आना। वो कौई भी हो सकता है रिश्तेदार दोस्त कौई भी। वो हमारे सपने में आते हैं और कुछ कहने की कोशिश करते हैं। कभी ये संकेत हमारे उपर आने वाली परेशानी, मुसीबत का या फिर कुछ अच्छी बातें होने की ओर का इशारा होता है। या फिर ये कुछ अपने बारे मे बताने की कोशिश करते हैं।
कई बार बाहर या घरों मे लोगों का सवाल होता है फलां व्यक्ति या फलां रिश्तेदार तो उनसे ज्यादा तो हमारे करीब था या फिर हम तो उनके अपने थे हमारा खुन का रिश्ता है इत्यादि, वो हमारे सपने मे ना आकर, दुसरों के सपने मे क्यों आते हैं।
तो शायद इसका जबाव ये हो सकता है कि कुछ लोगों की छठी इंद्री जागृत हों या छठी इंद्री दुसरे लोगों की अपेक्षा ज्यादा काम करती हो। और वो हमारा चुनाव करते हों सपने मे आकर कुछ बताने के लिए।
कई बार हमारे साथ ऐसा हुआ हो कि हम दोस्तों के साथ या फैमिली के साथ कहीं घुमने गये हो या फिर किसी के घर गये हों और वहां जाकर हमें अच्छा नहीं लग रहा, या बैचेनी महसुस होती है या नेगेटिव उर्जा का एहसास होता है वहीं जरूरी नहीं की वहां मौजूद दुसरे तीसरे व्यक्ति को भी ये एहसास हो। इसी तरह हम किसी व्यक्ति से मिलते हैं उस समय भी इसी तरह की फीलिंग आये। और शायद इसलिए बिना कौई वाजिब वजह के होते हुए भी हमें कुछ इंसान पंसद नहीं आते और हम दुर ही रहना उनसे पसंद करते हैं। इसके उलट कुछ इंसान मे कौई खास विशेषता ना होने पे भी वो हमें अच्छा लगता है। ये सारी बातें नेगेटिव और पोजेटिव उर्जा की ओर हमारी छठी इंद्रियां संकेत करती है।
खैर बहुत बातें हो गई लेकिन सोचिये और समझिये क्या आपकी भी छठी इंद्री वाकई मे काम करती है,अगर करती है तो इसकी सीमा कितनी है ?
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