सुबह की ठंडी हवा और रेडियो बे बजता संगीत पुराने दिनों की याद दिलाता है।
आजकल तो मोबाइल पे या किसी भी गाड़ियों पे F.M पे बजता संगीत आम बात है लेकिन रेडियो की तो बात ही अलग है। मुझे तो रेडियो पे ही म्यूजिक सुनने में मजा आने लगा है। समय का पता नहीं चलता और काम काम नहीं लगता।आपलोग भी एक बार रेडियो लेकर तो देखिये।
आप सब मुस्कुरा रहे होंगे और सोच रहे होंगे रेडियो खरीदने की क्या जरूरत है, मोबाइल है ना। पर फिर भी कहती हूँ रेडियो के क्या कहने।
रेडियो ज्यादा मंहगा भी नहीं होता है। आराम से खरीदा जा सकता है। आज भी बहुत सारे लोगों के पास रेडियो है और बहुत सारे लोग सुनते भी हैं रेडियो।
मैं first time BBC.hindi news रेडियो पे ही सुनी हुँ। तब से लेकर आज तक BBC. के बिना मेरा काम नहीं चलता। न्यूज की बात से एक और बात ध्यान मेंं आयी है कि हम लोग न्यूज पेपर में क्या पढ़ते हैं और कौन -कौन सा पेज पढ़ना पसंद करते हैं। किसी को पहला पन्ना पसंद होता है तो कोई किक्रेट का पेज पढ़ता है या फिर कोई मनोरंजन पेज।
बहुत कम लोग होते हैं जो सम्पादकीय वाला पन्ना पढ़ते होंगे। सम्पादकीय पन्ना तो जरुर पढ़ना चाहिए क्योंकि इससे हमें समाचारों को गहराई से, समझने की समझ पैदा होती है। और जो आजकल फेक न्यूज वगैरह फैलती है और हम उसे सच मान लेते हैं। उसका कारण समाचार को गहराई से ना समझ पाने की हमारी समझ का है।
जहाँ तक मुझे ऐसा लगता है सम्पादकीय पन्ना हमें एक अच्छा इंसान भी बनाता है। तो निरपेक्ष समाचार - पत्र पढिये और सम्पादकीय पन्ना तो अवश्य पढिये। और रेडियो पे बजता संगीत सुनते रहिये ।
समाचार पत्र पे सम्पादकीय पेज पे सभी पेपर पे एक कॉलम होता है जिसपे स्पिरिचुअल बातें लिखी होती है ।वो कॉलम पढ़ना भी काफी मुझे पसंद है। जब भी हम सारे बच्चे गांव जाते थे तो हमारे दादा जी हमसे डायरी पे पेपर का यही स्पिरिचुअल कॉलम लिखवाते थे । हमलोग बहुत ना नुकूर के बाद लिखते थे । वहीं से मुझे इस कॉलम को पढ़ने मे मजा आने लगा । और मैं इस कॉलम को कटिंग करके पुरानी डायरी पे चिपका देती थी।
दादा जी हमेशा कहते थे रोज कुछ ना कुछ लिखा करो। सही ही कहते थे वो। हमारे बड़े - बुजुर्ग कुछ कहते हैं तो वो हमारे अच्छे के लिए ही कहते हैं । ☺️
4 Comments
Very nice 👍
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDeleteबहुत ही प्रशंसनीय सलाह
ReplyDeleteशुक्रिया :)
DeleteDo not post spam links