मौत आने से पहले (प्रेम कविता)
तुम मिलते हो
कभी-कभी ही सही
मगर
रात के तीसरे पहर जरूर...
तो लगता है
कई जन्मों से सफर कर
कोई किस्सा बन
सपनों में उकेर जाते हो
कभी कोई कहानी बन
कभी कोई फ़साना बन
मगर
जीवन पाकर
सांसों से छू जाते हो....
मेरी मोहब्बत का तकाजा
बस इतना ही है
तेरे साथ की ख्वाहिश
हकीकत ना सही
ख्वाबों में ही सही
पनाह तो मिले....
खुदा जाने
कैसी तलब सी है तेरी
तुझसे रूबरू होने की
ख्वाहिशमंद नहीं
रूह मेरी
मगर कोई संवाद
कोई खत
एक शव्द ही सही
मौत आने से पहले
तेरे होने का अलख
तो जगा दे....
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