राम ऐसे आयेंगे ! (कविता)
राम ऐसे आयेंगे ! (कविता) किसी उत्सव के पीछे कोई स्याह पक्ष होता है यह क…
राम ऐसे आयेंगे ! (कविता) किसी उत्सव के पीछे कोई स्याह पक्ष होता है यह कोई नहीं देखता हजारों की मौत पर खड़ा है धर्म का बाजार यह कोई न…
Read moreकहानी वो नहीं (कविता) कहानी वो नहीं होती जो हमेशा कही जाती है कभी सोचा है तुमने कहानी वो नहीं होती जो दिखती है कहानी वो भी नहीं होती जो …
Read moreधनिया का चरित्र चित्रण प्रेमचंद जी को चरित्र चित्रण करने में महारत हासिल है, इसमें कोई दो राय नहीं है। मगर धनिया का जो चरित्र उन्होंने ग…
Read moreभूषण की भाषा शैली ( निबंध ) वीर रस के कवियों में भूषण का अग्रण्य स्थान है। उनकी कविताओं के शब्द हुंकार भरते हैं, गरजते हैं। रीतिकाल के…
Read moreचूड़ियां (कविता) जब भी देखती हूं मां के हाथों में रंग बिरंगी चूड़ियां स्मृति पटल पर उगते हैं नन्हे-नन्हे टिमटिमाते तारे कभी उसने…
Read more1. दौलत कुछ नए की तलाश में जो है वो भी खो देते हैं आज घमंड है तुम्हें अपनी दौलत का कल ऐसा भी होगा चंद सिक्के भी ढूंढोगे आलमारी में......…
Read moreप्रेम कविता ) प्रेम यूँ तो खत्म नहीं होता... प्रेम खत्म तब भी नहीं होता जब खाने को नहीं हो कोई आसरा कोई ठिकाना नहीं हो प्रेम तब भी खत्म न…
Read moreइतनी सी इल्तिज़ा है ( कविता ) कभी-कभी यूँ लगता है तुम्हारी बहुत जरुरत है पर ना वक्त का तकाजा है ना उम्मीद का कोई तिनका ना ही कोई इल्तिज़ा…
Read moreसमास की परिभाषा और उसके प्रकार समास का शाब्दिक अर्थ है - संक्षेप, छोटा आदि। दो या दो से अधिक पदों के मेल से बनने वाले शब्द को समास कहत…
Read moreकठपुतली ( हिंदी कविता) ऐसा भी क्या है तेरे बिना रह ना पाऊं ऐसा भी क्या है तुझे देखे - तुझे सुने बिना जी ना पाऊं मन मेरा डोर तेरे हाथ म…
Read moreउसकी मुस्कान (कविता) कभी कभी कुछ भी उकेर देती हूँ कभी रंगों से कभी स्याही से... कभी कोई नज्म तो कभी कोई किस्सा कभी बेवजह की बातें होती ह…
Read moreइश्क में (कविता ) प्रेम और इश्क में फर्क दुनियां क्या जाने कहे जा रही हूँ तुम सुने जा रहे हो... तेरे इश्क में मैं मरी जा रही हूँ ना तुम …
Read moreरिश्तों का हेर- फेर ( कविता ) रिश्तों में चढ़ा देते हैं जो झूठ की जिल्द और कहते हैं हमारे जैसा कोई पाक-साफ ना मिलेगा... बुनियाद ही फरेब प…
Read moreमोहब्बत कम ना थी (कविता ) इस कदर तुमसे मोहब्बत कम ना थी मगर कहीं तुम ना थे मगर कहीं हम ना थे वो वक्त कभी कम ना था मगर जींदगी का फल…
Read moreइंसान और धर्म ( कविता ) जिंदगी बड़ी खूबसूरत है क्यूँ हम नष्ट करे बेमतलब की बातों से.... हम इंसान हैं इंसान क्यूँ ना रहे …
Read moreसच (कविता) सच जितना भयहीन है उतना ही सच से सबको बड़ा भय लगता है राजा हो या संतरी... सच सामने खड़ा हो हिमालय की तरह तो छप्पन इंच का सीना हो…
Read moreआदमियत का गोश्त (कविता ) आदमी तो होते हैं सब एक जैसे सबके तंत्र एक समान सबकी रूह एक समान फिर भी कुछ गोश्त बन जाते हैं कुछ …
Read moreराम ऐसे आयेंगे ! (कविता) किसी उत्सव के पीछे कोई स्याह पक्ष होता है यह क…